दशरथ जातक जातक से ली गयी है रामकथा
एक जर्मन लेखक V. Fausboll ने 1871 में एक क़िताब लिखी The Dashratha-Jatak "Being The Story Of King Rama" उसमें यह बताया गया कि राजा राम की कहानी बुद्धिज्म की जातक कथा "दशरथ जातक" से ली गयी है। बुद्धिज्म में 500 से अधिक जातक कथाएं हैं। सारा दर्शन वहीं से निकला है। विश्वभर में आम जन मानस को समझाने के उद्देश्य से कुछ कथाओं के शिल्पांकनकिया गया तो कुछ सच्ची कथाओं के स्तूप इत्यादि भी हैं। जैसे दशरथ और श्रमण कुमार की कथा को तो सुना ही होगा? इसे ह्वेनसांग ने अपनी किताब में कुछ ऐसे लिखा कि एकदिन वह घूमते - घूमते गांधार क्षेत्र में पहुँचे। फिर वहां से पुष्कलावती गए। पुष्कलावती के पास एक स्तूप था। वह स्तूप बोधिसत्व श्रमक की स्मृति में बना था। श्रमक की कथा को ह्वेनसांग ने लिखा है कि बोधिसत्व श्रमक वहां अपने अंधे माता - पिता की सेवा करते थे। एक दिन का वाकया है कि वे अपने अंधे माता-पिता के लिए फल लाने गए थे। तभी एक राजा जो शिकार के लिए निकले थे, श्रमक को अनजाने में बिष - बाण से मार दिए। श्रमक बोधिसत्व मरे नहीं बल्कि उनका घाव औषधि से ठीक हो गया। माता - पिता की सेवा करनेवाले बोधि