दीवाली बौद्धों का उत्सव

 भाषा वैज्ञानिक डॉ राजेंद्र प्रसाद सिंह जी लिखते हैं कि "जॉन एस. स्ट्रांग अमेरिका में रिलीजियस स्टडीज के प्रोफेसर हैं। उन्होंने " द लीजेंड एंड कल्ट आफ उपगुप्त " ( प्रिंसटन, 1992 ) नामक किताब लिखी है।

इस किताब में उन्होंने " लोकपणत्ती " ( पालि टेक्स्ट ) के आधार पर बताया है कि भारत की दीवाली एक बौद्ध त्योहार है, जिसका आरंभ सम्राट असोक के समय में हुआ था।

इस त्योहार को थाईलैंड में " लोई क्रोथोंग " के नाम से जाना जाता है। यही दीवाली चीन, जापान, बर्मा, कंबोडिया आदि बौद्ध देशों में बौद्ध तरीकों से मनाई जाती है। पोस्ट में संलग्न फ़ोटो थाईलैंड दीवाली का ही एक दृश्य है।"

अब प्रश्न यह उठता है कि यदि भारतीय मान्यताओं के अनुसार बुद्ध विष्णु का अवतार होते तथा दिवाली भी राम से संबंधित होती तो यह दोनों धारणाएं भी बौद्ध देशों तक सबसे पहले पहुंची होती?

आज भारत के बुद्धिस्टो में भी सुगबुगाहट रहती है और वे दीवाली को दीप दानोत्सव के रूप में मनाते रहे हैं लेकिन बौद्ध मान्यताओं को रिसर्च से प्रमाणिक बल मिलता है जबकि हिन्दू मान्यताओं का केवल भावनात्मक बल दिखता है। 

दोनों मान्यताओं के बीच की एक विलुप्त कड़ी है। यदि हम उसे निष्पक्ष रूप से खोजने में कामयाब हुए तो यकीनन किसी एक तरफ़ की मान्यताओं को बड़ा झटका लग सकता है और जिसे झटका लगेगा, वह प्रामाणिक अध्ययन तथा विमर्श करने से बचेगा? #आर_पी_विशाल।

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