जानिये- पिछड़े वर्गों के उत्थान के लिए बसपा के दूसरे शासनकाल की 10 प्रमुख उपलब्धियां
पिछड़े वर्गों के उत्थान के लिए बहुजन समाज पार्टी के दूसरे शासनकाल की 10 प्रमुख उपलब्धियां
कल मैंने बहन मायावती जी के नेतृत्व में बसपा की 3 जून, 1995 को उत्तर प्रदेश में पहली बार बनी सरकार के साढ़े चार माह के शासनकाल में पिछड़े वर्गों के उत्थान के लिए किये गए 10 प्रमुख कार्यों की चर्चा की थी। बसपा शासन की अभूतपूर्व उपलब्धियों की श्रृंखला में आज जानिये पिछड़ों के हित संवर्धन और कल्याण के लिए बसपा के दूसरे शासनकाल (21 मार्च, 1997 से 20 सितंबर, 1997) में मात्र छः माह की प्रमुख 10 उपलब्धियां क्या थीं-
- माननीय सुश्री मायावती जी द्वारा 21 मार्च 1997 को सत्ता संभालने के तुरंत बाद दिनांक 6 अप्रैल 1997 को पिछड़े वर्गों (माली समाज) में जन्मे भारत के महान सपूत महात्मा ज्योतिबा फुले के नाम से पश्चिमी उत्तर प्रदेश एवं 6मई, 1997 को आरक्षण के जनक कुर्मी जाति में जन्मे छत्रपति शाहूजी महाराज के नाम से पूर्वी उत्तर प्रदेश में दो नए जिलों की स्थापना की गई। इसी के साथ भारत के नक्शे में पहली बार पिछडे वर्गों में जन्में महापुरुषों का नाम दर्ज हो गया।
- 7जुलाई, 1997 को रुहेलखंड विश्वविद्यालय का नामकरण सामाजिक क्रांति के पितामह महात्मा ज्योतिबा फुले के नाम पर किया गया।
- छत्रपति शाहू जी महाराज शोध एवं प्रशिक्षण संस्थान द्वारा संचालित आईएएस/पीसीएस/अधीनस्थ सेवा चयन हेतु परीक्षा पूर्व कोचिंग संस्थान में अन्य पिछड़े वर्गों के लिए 50% आरक्षण की व्यवस्था लागू की गयी।
- अलीगढ में बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री माननीय कर्पूरी ठाकुर जी की प्रतिमा का अनावरण।
- कक्षा एक से दस तक की कक्षाओं में पढ़ने वाले पिछड़े वर्गों के विद्यार्थियों की छात्रवृत्ति बढ़ाकर दोगुनी कर दी गयी।
- 1मई, 1997 को एक अधिसूचना जारी करके पिछड़े वर्गों की अनुसूची में क्रम संख्या 56 में "राय सिख" जाति को सम्मिलित किया गया।
- 6अगस्त, 1997 को शासनादेश द्वारा मूल जाति "सक्का-भिश्ती, भिश्ती-अब्बासी एवं उपजाति- बढ़ई-सैफी, लोहार-सैफी जोड़ी गयी।
- 15सितंबर,1997 को पिछड़े वर्ग की 13 औऱ उपजातियों को अतिरिक्त रूप से अनुसूचि-एक में जोड़ा गया ताकि उन्हें भी आरक्षण का लाभ मिल सके। ये जातियां थीं- अहीर- यादव, ग्वाला, यदुवंशी; कहार- कश्यप; गड़ेरिया- पाल और बघेल; तेली, समानी, रोगनगर- साहू; दर्जी, इदरीसी- ककुत्स्थ; बंजारा- रंकी, मुकेरी, मुकेरानी; भर- राजभर; भुर्जी या भड़भूँजा, भूंज, कांदू- कसौधन।
- नौ नयी मूल पिछड़ी जातियां अनुसूची-एक में शामिल। 15 सितम्बर, 1997 को अधिसूचना द्वारा नौ नयी मूल पिछड़ी जातियों को अनुसूची-एक में शामिल किया गया। ये जातियां हैं-
- धोबी (जो अनुसूचित जाति/जनजाति में शामिल नहीं हैं)।
- कसेरा, ठठेरा, ताम्रकार।
- नानबाई
- मीर शिकार
- शेख सरवरी(पिराई), पीराही।
- मेव, मेवाती
- कोष्टा/कोष्टी
- रोड़
- खुमरा, संगतराश व हंसीरी
इन नई जातियों एवं उपजातियों को पिछड़े वर्गों की सूची में जोड़ने के कारण ही प्रदेश में काफी बड़ी संख्या में पिछड़े वर्ग के गरीब लोगों को सरकारी नौकरियों और विकास की योजनाओं का लाभ मिल सका।
10. प्राविधिक शिक्षा विभाग द्वारा संचालित योजनाओं/कार्यक्रमों में पिछड़े वर्गों के लोगों के शैक्षणिक, आर्थिक एवं सामाजिकविकास हेतु औद्योगिक आवश्यकताओं के अनुरूप प्रशिक्षित जनशक्ति तैयार किये जाने हेतु प्रवेश क्षमता में वृद्धि।
श्रृंखला की अगली कड़ी में बसपा के तीसरे व चौथे शासनकाल में बहन सुश्री मायावती जी द्वारा पिछड़े वर्गों के उत्थान के लिए किये गए ऐतिहासिक कार्यों का विवरण दिया जाएगा।
-प्रो महेश प्रसाद अहिरवार
स्रोत- सूचना एवं जनसंपर्क विभाग, उत्तर प्रदेश
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