बुद्ध वचनों में श्रद्धा रखनेवालों की कभी पराजय नहीं

एक समय भगवान बुद्ध राजगृह के गृध्रकूट पर्वत पर ठहरे थे।  
उस समय मगध नरेश, वैदेही-पुत्र अजातशत्रु वज्जियों पर आक्रमण करना चाहता था।
 उसने अपने मन में कहा- "चाहे वे कितने ही शक्तिशाली क्यों न हों, मैं इन वज्जियों की जड़ खोद डालूंगा, मैं इन वज्जियों को नष्ट कर डालूंगा, मैं इन वज्जियों का सर्वथा विनाश कर डालूंगा।"

तब उसने मगध के प्रधान मन्त्री वस्सकार ब्राह्मण को बुलाया और कहा-
"ब्राह्मण !  तुम भगवान बुद्ध के पास जाओ और मेरी ओर से उनके चरणों में नमस्कार करो, तब उनका कुशल समाचार पूछो कि वे निरोग और स्वस्थ हैं या नहीं ?"

"-और तब उनसे कहो कि मगध नरेश वैदेही-पुत्र अजातशत्रु वज्जियों पर आक्रमण करना चाहता है । उसका कहना है कि चाहे वे कितने ही शक्तिशाली हों, वह उनकी जड़ उखाड़ देगा, वह उनको नष्ट कर डालेगा, वह उनका सर्वथा बिनाश कर देगा।"

"-ऐसा कहने पर जो कुछ तथागत कहें उसे ध्यानपूर्वक सुनना और आकर मुझे बताना । क्योंकि बुद्ध का कथन कभी अन्यथा नहीं होता।"

तब वस्सकार ब्राह्मण ने राजा के वचनों को सुना और कहा- "महाराज! जैसा आप चाहते हैं, वैसा होगा।" और बहुत से सुन्दर-सुन्दर रथ जुतवाकर वह गृध्र-कूट पर्वत पर पहुंचा। वहां पहुंचकर वस्सकार ब्राह्मण ने तथागत को अभिवादन किया, उनका कुशल समाचार पूछा और राजा की आज्ञा के अनुसार मगध नरेश का संदेश तथागत के सामने निवेदन कर दिया ।

उस समय आनन्द स्थविर तथागत के पास खड़े थे। तथागत ने आनन्द को सम्बोधित करके पूछा-
"आनन्द ! क्या तुमने सुना है कि वज्जिगण के लोग प्राय: अपनी सार्वजनिक समितियों की बैठकें करते रहते हैं ?"
आनन्द स्थविर ने उत्तर दिया- "हां भगवान ! मैंने ऐसा सुना है।"
तथागत ने कहा- "आनन्द ! जब तक वज्जी अपनी सार्वजनिक समितियों की बैठक करते रहेंगे, तब तक वज्जियों की वृद्धि ही होती रहेगी, उनका ह्रास नहीं होगा ।

"आनन्द ! जब तक वज्जी मिलजुलकर बैठेंगे, मिल  जुलकर उठेंगे और मिल जुलकर अपने निश्चयों को कार्यरूप में परिणत करेंगे तब तक वज्जियों की वृद्धि ही होती रहेगी, उनका ह्रास नहीं होगा।"

"आनन्द ! जब तक वह बिना नियम बनाये कोई कार्रवाई नहीं करेंगे, जो नियम बन चुका है उसका उल्लंघन नहीं करेंगे और पुराने समय से चली आयी वज्जियों की परम्परा के अनुसार कार्य करेंगे तब तक वज्जियों की वृद्धि ही होती रहेगी, उनका ह्रास नहीं होगा।"

“जब तक वे अपने ज्येष्ठ वज्जिओं का आदर-सत्कार करते रहेंगे, उनकी आवश्यकतायें पूरी करते रहेंगे और उनकी बातों को महत्त्व देते रहेंगे तब तक  वज्जियों की वृद्धि ही होती रहेगी, उनका ह्रास नहीं होगा।"

"जब तक वे किसी वज्जि लड़की या स्त्री को जबर्दस्ती अपने यहां लाकर नहीं रखेंगे तब वक वज्जियों की वृद्धि ही होती रहेगी, उनका ह्रास नहीं होगा ।"

"जब तक वज्जीगण के लोक धम्म का पालन करते रहेंगे तब तक वज्जियों की वृद्धि ही होती रहेगी, उनका ह्रास नहीं होगा।"

"जब तक वे ये बातें करते रहेंगे तब तक वज्जियों की वृद्धि ही होती रहेगी, उनका ह्रास नहीं होगा और कोई उनका नाश नहीं कर सकता।"

थोड़े शब्दो में भगवान बुद्ध ने कहा कि- जब तक वज्जीगण प्रजातन्त्र में विश्वास करते हैं और प्रजातन्त्रात्मक ढंग से रहते हैं तब तक उनके गणराज्य को कोई खतरा नहीं।"

तब तथागत ने वस्सकार को सम्बोधित किया-
"हे ब्राह्मण ! जब मैं वैशाली में ठहरा हुआ था, तब मैंने वज्जियों को ये बातें सिखाई थीं।"

ब्राह्मण बोला- "तो हम वज्जियों की उन्नति की ही आशा कर सकते हैं, अवनति की नहीं।"
 "हे गौतम ! मगध नरेश वज्जियों को नहीं जीत सकता।
तथागत के वचन कभी झूठे नहीं होते हैं। तथागत के वचन सदैव, सदा काल, सर्वत्र सच होते हैं। आज भी सच है, कल भी सच रहेगा। इन वचनों में श्रद्धा रखने वाले कभी पराजित नहीं होते हैं।"
स्रोत- बुद्ध और उनका धम्म

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