In his accounts belonging to 7th century AD, Hiuen Tsang talked about ten Buddhist monasteries flourishing in Onantopulo, or Anandpura, the ancient name of Vadnagar in Gujarat.
मप्र के शिवपुरी जिले में है सारनाथ के धमेक स्तूप की तरह का प्राचीन स्तूप Ajay Suryawanshi मप्र के शिवपुरी जिला मुख्यालय से 72 किमी दूर खनियाधाना तहसील में 2300 वर्ष से अधिक पुराना प्राचीन बौध्द स्तूप भग्नावस्था में अब भी बुधोन राजापुर गाँव मे खड़ा है ।गाँव के नाम से ही परिलक्षित होता है कि गांव का का भगवान बुद्ध के नाम से अवश्य ही कुछ संबंध है । स्तूप कई दिनों तक अनदेखी और बदहाली का शिकार रहा तथा स्थानीय गांववाले इसे "कुटिया मठ 'के नाम से जानते है ।अब यह पुरातत्व विभाग के अधीन है । रन्नौद से 12 किमी दूर चलकर यहां पहुंचा जा सकता है ।खनियाधाना- ईसागढ़ रोड से सरस्वती गांव होकर अथवा खनियाधाना- रन्नौद मार्ग से धपहेरा गाँव होकर भी यहां पहुंचा जा सकता है । स्तूप की ईंटों,उसकी सरंचना शैली और उसके स्थापत्य को देखकर इसका स्पष्ट अनुमान लगाया जा सकता है कि इसका निर्माण सम्राट अशोक द्वारा ही किया गया होगा ।यह बिल्कुल सारनाथ के धमेक स्तूप की। तरह है । बौद्ध वैभव काल की समाप्ति के बाद कई दिनों तक उपेक्षा ,गुमनानी और बदहाली में पड़े रहने के बावजूद सैकड़ों वर्षों तक मौसम,आँधी-तूफान के थपेड़े झेलक...
बुद्ध को पालि वांग्मय में "भगवान" कहा गया है, जैसे कि "नमो तस्स भगवतो अरहतो सम्मा सम्बुद्धस्स।" अर्थात्- हम उनको नमस्कार करते हैं, जो भगवान हैं, अर्हत हैं, सम्यक सम्बुद्ध हैं। त्रिरत्न वन्दना के अन्तर्गत कहते हैं- "इतिपि सो भगवा अरहं सम्मा सम्बुद्धो विज्जाचरण सम्पन्नो सुगतो लोकविदू अनुत्तरो पुरिसदम्म सारथी सत्था देवमुनस्सानं बुद्धो भगवा ति।" बुद्ध वन्दना में उनके नौ गुणों का व्याख्यान करने के दौरान "भगवा" अर्थात्- "भगवान" दो बार आया है। बौद्ध धर्म के पवित्र ग्रंथों में "भगवान" का अर्थ इस प्रकार बताया गया है- "भग्ग रागो भग्ग दोसो भग्ग मोहं, इतिपि भगवा" अर्थात्- जिन्होंने राग, द्वेश और मोह इन तीनों को भग्न कर दिया हो वह भगवान है अथवा इसी नाम-रूप की काया में राग, द्वेश और मोह का उच्छेद कर दिया हो, शमन कर दिया हो, ऐसे व्यक्तित्व को "भगवान" कहा जाता है। बौद्ध धम्म परंपरा में भगवान का अर्थ है ऐसा व्यक्तित्व, जिसने अपना संपूर्ण जीवन मानवता के लिए, नेक (कुशल) कार्यों के लिए, धम्म (धर्म) के लिये, विचारधारा के लि...
BAMCEF क्या है ? इसकी आवश्यकता क्यों पड़ी ? यह अनुसूचित जाति, जनजाति, अन्य पिछड़े एवं धार्मिक अल्पसंख्यक वर्ग के सरकारी और गैर सरकारी कर्मचारियों और अधिकारियों का संगठन है. बामसेफ अंग्रेजी के छ: अक्षरों BAMCEF से मिलकर बना है जो वस्तुतः "The ALL India Backward (SC,ST,OBC) And Minorities Communities Employees Federation का संक्षिप्त रूप है. इसका मकसद शोषित और पीड़ित समाज के बुद्धिजीवी लोगों को संगठित करके समाज की गैर राजनितिक जड़ों को मजबूत करना है. मान्यवर कांशीराम साहब कहते थे कि जिस समाज की गैर राजनीतिक जड़ें मजबूत नहीं होती उस समाज की राजनीति कभी सफल नहीं हो सकती. अगर हम बामसेफ की पृष्ठभूमि पर नजर डालें तो यह साफ दिखायी देता है कि बाबा साहब डा. अम्बेडकर के परिनिर्वाण के बाद जिन लोगों के ऊपर मिशन को चलाने की जिम्मेदारी थी उन लोगों ने मिशन को बेचा. वे बाबा साहब के सपनों को पूरा करने की बजाय गाँधी के सपनों को पूरा करने में लग गये. जिस वर्ष बाबा साहब का देहान्त हुआ उसी वर्ष मान्यवर कांशीराम साहब महाराष्ट्र में पुणे पहुँचते हैं और अम्बेडकरवादी गतिविधियों से उनका परिचय हुआ. बाबा ...
टिप्पणियाँ
एक टिप्पणी भेजें