"अनुसूचित जाति" का अभिप्राय

'अनुसूचित जाति" का अभिप्राय

सन् 1931  में उस समय के जनगणना आयुक्त (मी. जे. एच. हटन) ने पहली संपूर्ण भारत की  अस्पृश्य जातियों  की जन गणना करवाई और बताया कि ‘भारत में 1108 अस्पृश्य जातियांँ है और वें सभी जातियांँ हिन्दू धर्म के  बाहर  हैं। इसलिए, इन जातियों को "बहिष्कृत जाति" कहा गया है। उस समय के ब्रिटिश "प्रधानमंत्री  "रैम्से मैक्डोनाल्ड" ने देखा कि हिन्दू, मुसलमान, सिख, एंग्लो इंडियन की तरह 'बहिष्कृत जातियांँ' भी  एक 'स्वतंत्र वर्ग' है और इन सभी जातियों का  हिन्दू धर्म में समाविष्ट नही है।
इसलिए, उनकी "एक "सूची"  तैयार की गयी। उस "सूची" में समाविष्ट  समस्त जातियों' को ही ‘अनुसूचित जाति’ कहा जाता है। इसी के आधार पर भारत सरकार द्वारा ‘अनुसूचित जाति अध्यादेश 1935 के अनुसार कुछ सुविधाएं दी गई हैं। उसी आधार पर भारत सरकार ने  ‘अनुसूचित जाति अध्यादेश 1936  जारी कर आरक्षण  सुविधा का प्रावधान किया । 

आगे  1936  के उसी अनुसूचित जाति अध्यादेश में थोड़ा बहुत बदलाव कर ‘अनुसूचित जाति अध्यादेश 1950’  पारित कर आरक्षण का प्रावधान किया गया।

 निष्कर्ष

अनुसूचित जाति का इतिहास यही कहता है कि यह भारत वर्ष में 1931  की जनगणना के पहले की अस्पृश्य, बहिष्कृत  जातियां  हिन्दू धर्म से बाहर थी और इन्ही सभी  बहिष्कृत जातियों की  "सूची" तैयार की गई और उन्ही (अस्पृश्य, बहिष्कृत, हिन्दू से  बाहर ) जातियों की  "सूचि" के आधार पर डाॕ. बाबा साहेब आंबेडकर जी ब्राह्मणों के  खिलाफ जाकर अंग्रेजो से लड़कर हमें  "मानवीय अधिकार" दिलाने में सफल हुए। तो हमें भी ये अच्छे से जान और समझ लेना चाहिए कि अनुसूचित का मतलब उस दौर में अस्पृश्य, बहिष्कृत, हिन्दू से बाहर, मतलब जो हिन्दू नहीं थी वे जातियां है।

हिन्दू धर्म   के  स्वतंत्र वर्ण व्यवस्था से बाहर पाँचवा अघोषित वर्ण 'अतिशूद्र'।

'अनुसूचित जाति' हमारी संवैधानिक पहचान है और आज जो कुछ लाभ हम ले रहे हैं वह सिर्फ और सिर्फ मिलता है। अनुसूचित वर्ग के नाम पर न कि दलित, चमार, पासी,  सोनकर   या वाल्मीकि आदि जाति  के नाम पर।
"अनुसूचित" नाम का उद्भव के  इतिहास की जानकारी होने के बावजूद भी  हमारे लोग हिन्दू धर्म की पूँछ  को पकडे़ हुए हैं। अगर हम लोग  अभी भी हिन्दू धर्म  की पूँछ पकड़े हुए है तो नैतिक रूप से  डाॕ. बाबा साहेब आँबेडकर जी के  संविधान  का सरासर  अपमान कर रहे है। हमेशा याद रहे की अनुसूचित का मतलब सिर्फ और सिर्फ यही है।

*कि "जो लोग हिन्दू धर्म में नहीं है वें लोग अनुसूचित वर्ग से है।"* 

इस सन्देश के माध्यम से  मैने  पूरी कौशीश की  है  समझाने की ,  उम्मीद है आप यह मैसज आगे फारवर्ड करके   समाज के लोगों को समझाने की अवश्य  कौशीश करेंगे ...

 🙏👏धन्यवाद 

 *जयभीम !*  *जय संविधान !*

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