बीएचयू में बहुजन योद्धाओं के दीर्घकालीन संघर्ष का परिणाम दिखने लगा है लेकिन उच्च पदों पर अब भी कुंडली मारे बैठे लोगों को हटाना बाकी
बीएचयू में प्रोफेसर, एसोसिएट प्रोफेसर एवं असिस्टेंट प्रोफेसर के कुल स्वीकृत पद (Sanction post)-
SC- 315
ST- 157
OBC- 568
Total=1040
इन वर्गों के अब तक भरे लिये गये पद (No.of filled Post)-
SC- 187
ST- 70
OBC- 224
Total= 481
(18 सितम्बर, 2020 को प्राप्त आँकड़ों के अनुसार)
वर्तमान विज्ञापन में इन वर्गों के लिए आरक्षित विभिन्न संवर्गों में 301 पदों पर चयन प्रक्रिया जारी है। अभी बीएचयू में वर्तमान में विज्ञापित पदों की चालू भर्ती प्रक्रिया में अनुसूचित जाति, जनजाति, अन्य पिछड़े वर्ग के लिए जिन 301 पदों को भरा जाना है उनका क्रमशः विवरण (Cadre-wise)-
प्रोफेसर
SC- 27, ST- 15, OBC- 24 Total=66
एसोसिएट प्रोफेसर
SC- 51 , ST- 30, OBC- 35 Total=116
असिस्टेंट प्रोफेसर
SC- 36, ST- 27, OBC- 56 Total=119
Grand Total=301
Category wise Total Advertise Post-
SC- 114
ST- 72
OBC- 115
Total= 301
इन 301 पदों को हर हाल में NFS से रोकना है।
अगर ये सभी पद भर लिये गये तो- कुल मिलाकर पूर्व में भरे गये 481पद+वर्तमान के 301 पद Total=782 पद हो जाएंगे। तब हमें आगे उन 258 पदों को छीनने की लड़ाई लड़नी है जिनमें सामान्य वर्ग के लोग जबरन कब्जा जमाए बैठे हैं।
अब सामान्य के लिए स्वीकृत सीटों पर नजर डालें-
प्रोफेसर के 95 पद स्वीकृत हैं लेकिन भर्ती- 130 पदों पर कर ली गई है और रिक्त-पद 14 हैं।
एसोसिएट प्रोफेसर के 204 पद स्वीकृत हैं लेकिन भर्ती- 319 पदों पर कर ली गयी है और रिक्त-पद 13 हैं।
असिस्टेंट प्रोफेसर- के 560 पद स्वीकृत हैं लेकिन भर्ती-630 पदों पर कर ली गयी है और रिक्त- पद 93 हैं।
उक्त आँकड़ों पर नजर डालें तो सामान्य वर्ग के लिए तीनों संवर्गों में कुल स्वीकृत पद- 859 हैं लेकिन वे 1199 पदों पर कब्जा जमाए बैठे हैं अर्थात कुल पदों से 340 पदों पर उनका अतिरिक कब्जा है। सामान्यवर्ग के लोग किस-किस संवर्ग में कितना पद हथियाये बैठे हैं-
प्रोफेसर- 49
एसोसिएट प्रोफेसर- 118
असिस्टेंट प्रोफेसर- 163
कुल मिलाकर तीनों संवर्गों के स्वीकृत पदों (859) की तुलना में 340 पदों पर सामान्यवर्ग अतिरिक्त कब्जा जमाए बैठे हैं। इनमें कुछ अपवादों को छोड़कर सभी पद ओबीसी कोटे की हैं जिनमें सामान्य कब्जा जमाए हुये हैं। ये सिर्फ एक विश्वविद्यालय अर्थात बीएचयू के आँकड़े हैं, अन्य विश्वविद्यालयों में तो और भी बुरा हाल है।
इस तरह उपरोक्त आँकड़ों में बीएचयू में बहुजन योद्धाओं के दीर्घकालीन संघर्ष का परिणाम दिखने लगा है लेकिन अनुसूचित एवं पिछड़े वर्गों के लिए आरक्षित एसोसिएट प्रोफेसर और प्रोफेसर के उच्च पदों पर अब भी कुंडली मारे बैठे लोगों को हटाना बाकी है।
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