बीएचय की नियुक्तियों में NFS (No Candidate Found Suitable) का मुद्दा संसद में
संसद में गूंजा बीएचयू शिक्षक नियुक्ति में अयोग्यता का मुद्दा, लालगंज से बसपा सांसद ने उठाया मामला
वाराणसी के बीएचयू में शिक्षकों की नियुक्ति में आरक्षित वर्ग के अभ्यर्थियों को अयोग्य ठहराने का मुद्दा सोमवार को लोकसभा में प्रमुखता से उठा। लालगंज से बसपा सांसद संगीता आजाद ने इस मुद्दे को उठाते हुए एससी, एसटी और ओबीसी वर्ग के अभ्यर्थियों के साथ भेदभाव का आरोप लगाते हुए इसकी शिकायत लोकसभा अध्यक्ष से करते हुए जिम्मेदारों पर कार्रवाई की मांग की।
बसपा सांसद ने लोकसभा में शून्य काल में कहा कि इस समय बेरोजगारी चरम सीमा पर है। उसके बाद भी वंचित वर्गों एससी, एसटी और ओबीसी के अभ्यर्थियों को उच्च शिक्षण संस्थानों से बेदखल करने की साजिश रची जा रही है। बीएचयू के साथ-साथ इलाहाबाद विश्वविद्यालय, पूर्वांचल विश्वविद्यालय जैसे देश और प्रदेश के सभी विश्वविद्यालयों में नियुक्ति प्रक्रिया में लंबे समय से एससी, एसटी और ओबीसी के अभ्यर्थियों को सुनियोजित तरीके से इंटरव्यू में अयोग्य घोषित किया जा रहा है।
यह बाबा साहब भीमराव अंबेडकर द्वारा दिए गए संविधान की मूल भावना के साथ खिलवाड़ है। इसी मुद्दे को लेकर पिछले दिनों प्रोफेसर एमपी अहिरवार के नेतृत्व में शिक्षकों के प्रतिनिधिमंडल ने कुलपति से मुलाकात कर इस पर आपत्ति भी जताई थी। प्रो. अहिरवार ने बताया कि कुलपति ने ठोस कार्यवाही का आश्वासन भी दिया था। संसद में अब इस मुद्दे के उठने के बाद कार्रवाई की उम्मीद जगी है।
बीएचयू के विभागों का गिनाया नाम
बीएचयू में संस्कृत विद्या धर्म विज्ञान संकाय, कला संकाय, आयुर्वेद संकाय, आइएमएस सहित अन्य विभागों का नाम गिनाते हुए सांसद ने कहा कि यहां अभ्यर्थियों को इंटरव्यू में बुलाकर उन्हें अयोग्य घोषित किया गया है, जबकि जिन अभ्यर्थियों ने आवेदन किया था उनमें अधिकांश ने बीएचयू से ही डिग्री हासिल की थी। उन्होंने लोकसभा अध्यक्ष से मांग की कि एससी, एसटी ओबीसी के खाली पदों को आरक्षण के अनुपात में अभियान चलाकर भरा जाए, जिससे कि संविधान के मूल भावना को बचाया जा सके। साथ ही इसके लिए जिम्मेदार अधिकारियों पर कार्यवाही की मांग रखी है।
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