'बहुजन हिताय, बहुजन सुखाय' के सापेक्ष है 'सर्वजन हिताय, सर्वजन सुखाय'
दिये गये इन प्रश्नों के उत्तर ढूंढो ! आपको बुद्ध के 'बहुजन हिताय, बहुजन सुखाय' तथा बहन सुश्री मायावती जी के 'सर्वजन हिताय, सर्वजन सुखाय' से संबंधित सभी शंकाओं का समाधान मिल जाएगा
👉 बुद्ध के "बहुजन हिताय, बहुजन सुखाय" में केवल आज के दलित, पिछड़े थे या अन्य वर्णों के लोग अर्थात ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य भी थे ?
👉 बुद्ध के अनुयायी सिर्फ वर्ण व्यवस्था के शूद्र और अन्त्यज (आज के दलित) थे या वे सवर्ण और ब्राह्मण भी थे जिन्हें बहनजी सर्वजन कहती हैं ?
👉 बाबा साहब अगर सर्वजन के विरोधी थे तो उन्होंने अपने संगठनों में प्रगतिशील ब्राह्मणों को क्यों महत्वपूर्ण पदों पर बैठाया ?
👉 बाबा साहब अगर सर्वजन के विरोधी थे तो फिर उन्होंने एक ब्राह्मणी से शादी क्यों की ?
👉 इसी तरह क्या महात्मा ज्योतिबा फुले सर्वजन विरोधी थे ? अगर हाँ तो उन्होंने काशीबाई नामक एक विधवा ब्राह्मणी को संरक्षण क्यों दिया और उसकी नाजायज संतान को अपना दत्तक पुत्र क्यों बनाया ?
मतलब साफ है-
जातीय विद्वेष खत्म करके ही समाज में परिवर्तन लाया जा सकता है। बहुजन समाज में जन्में महापुरुषों ने नफरत फैलाने की शिक्षा कभी नहीं दी।
हमारा नारा ! भाईचारा !!
दिमाग की बत्ती जलाओ-
"सर्वजन हिताय, सर्वजन सुखाय" की सरकार बनाओ।
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