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बुधोन - राजापुर का विशाल स्तूप

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  बुधोन - राजापुर का विशाल स्तूप बौद्ध सभ्यता की खोज में जब गूगल, इतिहास की किताबें फेल हो जाए, तब फेसबुक पर सर्च कीजिए। फेसबुक पर सर्च करते ही बुधोन - राजापुर का विशाल स्तूप सामने आता है। बुधोन - राजापुर मध्यप्रदेश के खनियाधाना तहसील के अंतर्गत शिवपुरी जिले में है। प्रथम तस्वीर बुधोन - राजापुर के स्तूप की है और दूसरी तस्वीर सारनाथ के धमेख स्तूप की है। दोनों स्तूप मेल खाते हैं, इससे हमें बुधोन - राजापुर के स्तूप का काल - निर्धारण में सहायता मिलती है। वो दिन दूर नहीं जब फेसबुक से बौद्ध सभ्यता का इतिहास लिखा जाएगा। कारण कि हर गाँव में, हर गली में चप्पे-चप्पे पर फेसबुक के यूजर्स हैं, जो बौद्ध सभ्यता की कच्ची सामग्री मुहैया कराने में सक्षम हैं। जो भी हो, बुधोन गाँव हमें हर हाल में बुद्ध की याद दिला जाता है। राजेन्द्र प्रसाद सिंह

बुद्ध का भिक्खा - पात्र

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  बुद्ध का भिक्खा - पात्र चित्र एक में बुद्ध का भिक्खा - पात्र है। फिलहाल यह नेशनल म्यूजियम काबुल में है। इसके पहले यह भिक्खा - पात्र कंधार में था। डाॅ. बेले ने 19 वीं सदी में इसे कंधार में देखा था। कंधार से पहले यह भिक्खा - पात्र पुरुषपुर में था। 5 वीं सदी में फाहियान ने इसे पुरुषपुर में देखा था। पुरुषपुर बौद्ध राजा कनिष्क की राजधानी थी। श्रीधर्मपिटकनिदान के चीनी अनुवाद से पता चलता है कि कनिष्क इसे पाटलिपुत्र से पुरुषपुर ले गए थे। पुरुषपुर से पहले यह भिक्खा - पात्र वैशाली में था, जहाँ इतने बड़े भिक्खा - पात्र को वहाँ बुद्ध को समर्पित किया गया था। भिक्खा - पात्र हरे - भूरे ग्रेनाइट पत्थर का है, जिसका व्यास 1.75 मीटर है। यह लगभग 4 मीटर ऊँचा और लगभग 400 किलो भारी है। आप सोच रहे होंगे कि इतना विशाल भिक्खा - पात्र भला बुद्ध कैसे उठाते होंगे। दरअसल यह उन्हें सम्मान में दिया गया था, जैसे आज के नेताओं को टनों भारी माला समर्पित किया जाता है। इतिहासकार पर्शियन में इस पर लिखा देख इसकी प्रामाणिकता को नकारते हैं। फिर मुगलकालीन लिखावट देखकर प्रयाग किले के अशोक स्तंभ को क्यों नहीं नकारते कि यह मुगल