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भीमा कोरे गांव 'शौर्य दिवस' का संक्षिप्त

  भीमा कोरे गांव 'शौर्य दिवस' का संक्षिप्त  इतिहास(01.0.1818)               धम्म मित्रों 31दिसम्बर 2019 की रात्रि में हम उपासकगण आयु.एडवोकेट आनंद एस.जगदेव,उमेश मोती राम शिंदे (कौडिन्य बौद्ध) जिला धुले (महाराष्ट्र)एवं आयु.एडवोकेट नंद किशोर वर्मा,गोंडा (उ.प्र.)के साथ ऐतिहासिक घटनास्थल को प्रत्यक्ष देखने पहुंचे। महाराष्ट्र प्रदेश शासन की आवागमन, ट्रैफिक पुलिस आदि की बहुत अच्छी व्यवस्था की गयी थी जिससे कई लाख की भीड़ को जरा सी भी असुविधा नहीं हुयी। भीमा कोरे गांव विजय स्तम्भ को देखने और शहीद रणवांकुरों को नमन,वंदन हम लोगों ने एक साथ किया और 01जनवरी2019 को सम्भाजी महाराज  और गणपत  महार पहलवान की समाधि स्थल को देखकर स्थानीय धम्म मित्रों से उसका इतिहास जानने समझने का पावन अवसर मिला।                                    दिनांक 11मार्च 1689 को पेशवाओं ने हमारे लोकप्रिय राजा सम्भाजी महाराज को खत्म कर उनके शरीर को टुकड़े-टुकड़े कर तुलापुर नदी में फेंक दिया था और चेतावनी भी दिया था कि जो भी इनकी लाश को हाथ लगायेगा उसका भी कत्ल कर दिया जायेगा जिससे किसी की हिम्मत नहीं हुयी कि सम्भाजी महाराज क

सारु मारु की गुफाओं से प्राप्त अशोक की धम्मलिपि

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  सारु मारु की गुफायें  ग्राम नकटी तलाई  तहसील रहेटी  जिला सीहोर से   प्राप्त  सम्राट  अशोक  की  धम्मलिपि के शिलालेख 𑀲𑀸𑀭𑀼 𑀫𑀸𑀭𑀼 𑀓𑀻 𑀕𑀼𑀨𑀸𑀬𑁂𑀁  𑀕𑁆𑀭𑀸 𑀫 𑀦 𑀓 𑀝𑀻 𑀢 𑀮𑀸 𑀈  𑀢 𑀳 𑀲𑀻 𑀮 𑀭 𑀳𑁂 𑀝𑀻  𑀚𑀺 𑀮𑀸 𑀲𑀻 𑀳𑁄 𑀭 𑀲𑁂   𑀧𑁆𑀭𑀸 𑀧𑁆𑀢  𑀲 𑀫𑁆𑀭𑀸 𑀝  𑀅 𑀰𑁄 𑀓  𑀓𑁂  𑀥𑀫𑁆𑀫𑀮𑀺𑀧𑀺 𑀓𑁂 𑀰𑀺 𑀮𑀸 𑀮𑁂 𑀔 𑀧𑀺  𑀬 𑀤 𑀲𑀺 𑀦𑀸𑀫𑁂 𑀭𑀸𑀚𑀸 𑀓𑀼𑀫𑀸 𑀭 (𑀲) 𑀲𑀁 𑀯 𑀲 𑀫𑀸𑀡𑁂 𑀫 𑀤𑁂𑀲𑁂 (𑀉) 𑀧𑀼 𑀦𑀺 𑀣 𑀯𑀺 𑀳𑀸 𑀭 (𑀬) 𑀢𑀸𑀬𑁂𑁇 𑀪𑀸 𑀕 1 1.  𑀲𑀸 𑀯 𑀡𑀁 𑀯𑀺𑀬𑀼𑀣𑁂 (𑀦 ) 200506 𑀤𑁂𑀯𑀸𑀦𑀁 𑀆 𑀡𑀸 𑀬 𑀢𑀺 𑀅𑀟𑁆𑀠𑀢𑀺𑀬𑀸 2.  𑀦𑀺 𑀯𑀲𑀸𑀦𑀺 𑀬𑀢𑁂 𑀲𑀼𑀫𑀺 𑀉 𑀧 𑀲 𑀓𑁂 𑀦𑁄 𑀘𑀼 𑀩𑀸 (𑀠𑀁) ( 𑀧)𑀓𑀸𑀢𑁂 𑀳𑀼 𑀲𑀁 𑀢𑀺 𑀯𑀸 𑀲𑀁 (𑀯 𑀘𑁆𑀙)𑀭𑀁 𑀲𑀸 3. (𑀥𑀺𑀓𑀁 𑀫𑁂 𑀲𑀁 𑀖 𑀬 𑀬𑀸 ) 𑀬𑁂 𑀳𑀸 𑀠 𑀘𑀼 𑀲𑀼𑀫𑀺 𑀧𑀓𑀦𑁆𑀢𑀸 𑀇𑀫𑀁 𑀘 𑀓𑀸𑀮𑀁 𑀚(𑀫𑁆𑀩𑀼𑀤𑀺𑀧𑁆) 𑀲𑀺 𑀪𑀸 𑀕 2 4.  𑀤𑁂𑀯𑀸 𑀦 𑀫𑀦𑀼𑀲𑁂𑀳𑀺 (𑀫𑀺) 𑀲𑀺𑀪𑀽𑀢𑀸 𑀳𑀼𑀲𑀽 5.  𑀮 𑀦𑁄 𑀘 𑀏 𑀲 𑀫 𑀳𑀸 𑀧 𑀓𑀸 𑀭𑀡𑁂𑀡𑁄 (𑀦) 𑀔𑀼𑀤𑁆𑀓𑁂 𑀧𑀺 𑀧𑀓𑀫𑁆.. 6.  𑀅 𑀞𑀸 𑀬 𑀏𑀲𑀸 𑀲

मध्यप्रदेश के ऐतिहासिक पुरातात्विक स्थल सारू-मारू

 ऐतिहासिक पुरातात्विक स्थल सारू-मारू  सारू-मारू एक ऐतिहासिक पुरातात्विक महत्व के साथ बुद्धकालीन अवशेषों का एक पिटारा हैं । यहां प्रत्येक वर्ष दिसंबर माह के अंतिम रविवार को बौद्ध महोत्सव का आयोजन किया जाता हैं। सीहोर जिले में बुधनी तहसील के ग्राम - पान गुराड़िया ( पबात पर्वत) के पास स्थित सारु मारू मेला अपने भव्यता को लेकर जाना जाता हैं। यह गुफाएं करीब 50 एकड़ क्षेत्र की पहाड़ियों में फैली हैं। इस पहाड़ी पर करीब 25 से अधिक प्राचीनकालीन स्तूप बने हुए हैं। यह एक शांत ज्वालामुखी के ऊपर बसा हुआ है। आज से करीब 50 हजार साल पहले ज्वालामुखी के फूटने से उसके लावे से इसका निर्माण हुआ है। ज्ञात हो कि शांत ज्वालामुखी करीब 1 लाख साल के अंतराल में फूटते हैं। इसका अर्थ यह है कि अभी इसको फूटने में लगभग 50 हजार साल और बाकी है। मलवा उपजाऊ होने से धीरे-धीरे यह क्षेत्र हरा-भरा होता गया और बस्तियां बसने लगी। इनमें मुख्य रूप से होशंगाबाद, रेहटी, देलाबाड़ी, आंवलीघाट, नसरूल्लागंज आदि आसपास के क्षेत्र आते हैं। यहां ई. पू. छठीं शताब्दी में इस क्षेत्र पर चंद्रप्रद्योत का साम्राज्य था। जिनके नाम पर इतिहास का काल प्रद