सारु मारु की गुफाओं से प्राप्त अशोक की धम्मलिपि

 


सारु मारु की गुफायें 

ग्राम नकटी तलाई  तहसील रहेटी  जिला सीहोर से   प्राप्त  सम्राट  अशोक  की  धम्मलिपि के शिलालेख

𑀲𑀸𑀭𑀼 𑀫𑀸𑀭𑀼 𑀓𑀻 𑀕𑀼𑀨𑀸𑀬𑁂𑀁 

𑀕𑁆𑀭𑀸 𑀫 𑀦 𑀓 𑀝𑀻 𑀢 𑀮𑀸 𑀈  𑀢 𑀳 𑀲𑀻 𑀮 𑀭 𑀳𑁂 𑀝𑀻  𑀚𑀺 𑀮𑀸 𑀲𑀻 𑀳𑁄 𑀭

𑀲𑁂   𑀧𑁆𑀭𑀸 𑀧𑁆𑀢  𑀲 𑀫𑁆𑀭𑀸 𑀝  𑀅 𑀰𑁄 𑀓  𑀓𑁂  𑀥𑀫𑁆𑀫𑀮𑀺𑀧𑀺 𑀓𑁂 𑀰𑀺 𑀮𑀸 𑀮𑁂 𑀔

𑀧𑀺  𑀬 𑀤 𑀲𑀺 𑀦𑀸𑀫𑁂

𑀭𑀸𑀚𑀸 𑀓𑀼𑀫𑀸 𑀭 (𑀲)

𑀲𑀁 𑀯 𑀲 𑀫𑀸𑀡𑁂

𑀫 𑀤𑁂𑀲𑁂 (𑀉) 𑀧𑀼 𑀦𑀺 𑀣

𑀯𑀺 𑀳𑀸 𑀭 (𑀬) 𑀢𑀸𑀬𑁂𑁇

𑀪𑀸 𑀕 1

1.  𑀲𑀸 𑀯 𑀡𑀁 𑀯𑀺𑀬𑀼𑀣𑁂 (𑀦 ) 200506 𑀤𑁂𑀯𑀸𑀦𑀁 𑀆 𑀡𑀸 𑀬 𑀢𑀺 𑀅𑀟𑁆𑀠𑀢𑀺𑀬𑀸

2.  𑀦𑀺 𑀯𑀲𑀸𑀦𑀺 𑀬𑀢𑁂 𑀲𑀼𑀫𑀺 𑀉 𑀧 𑀲 𑀓𑁂 𑀦𑁄 𑀘𑀼 𑀩𑀸 (𑀠𑀁) ( 𑀧)𑀓𑀸𑀢𑁂 𑀳𑀼 𑀲𑀁 𑀢𑀺 𑀯𑀸 𑀲𑀁 (𑀯 𑀘𑁆𑀙)𑀭𑀁 𑀲𑀸

3. (𑀥𑀺𑀓𑀁 𑀫𑁂 𑀲𑀁 𑀖 𑀬 𑀬𑀸 ) 𑀬𑁂 𑀳𑀸 𑀠 𑀘𑀼 𑀲𑀼𑀫𑀺 𑀧𑀓𑀦𑁆𑀢𑀸 𑀇𑀫𑀁 𑀘 𑀓𑀸𑀮𑀁 𑀚(𑀫𑁆𑀩𑀼𑀤𑀺𑀧𑁆) 𑀲𑀺

𑀪𑀸 𑀕 2

4.  𑀤𑁂𑀯𑀸 𑀦 𑀫𑀦𑀼𑀲𑁂𑀳𑀺 (𑀫𑀺) 𑀲𑀺𑀪𑀽𑀢𑀸 𑀳𑀼𑀲𑀽

5.  𑀮 𑀦𑁄 𑀘 𑀏 𑀲 𑀫 𑀳𑀸 𑀧 𑀓𑀸 𑀭𑀡𑁂𑀡𑁄 (𑀦) 𑀔𑀼𑀤𑁆𑀓𑁂 𑀧𑀺 𑀧𑀓𑀫𑁆..

6.  𑀅 𑀞𑀸 𑀬 𑀏𑀲𑀸 𑀲𑀸 𑀯 𑀡𑁂 𑀓𑀺𑀢𑀸 (𑀢𑀺) 𑀔𑀼 𑀤 𑀓𑀸 𑀘 𑀉𑀟𑀸𑀭𑁆𑀓𑀸 𑀘 𑀧 𑀓 ......

7.  𑀓𑀺𑀢𑀻 𑀏𑀢𑁂 𑀧𑀺 𑀧 𑀓 𑀫𑁂 𑀬𑀼 𑀢𑀺 𑀅𑀬𑀁 𑀳𑀺 𑀅𑀞𑁂 𑀯 𑀠 𑀲𑀺 𑀢𑀺 𑀯𑀺𑀧𑀼𑀮𑀸 ( 𑀧𑀺 𑀘 )........(𑀯) 𑀠𑀺..

8.  𑀲𑀺𑀢𑀺 𑀘𑀺 (𑀭) 𑀣𑀺𑀢𑀺𑀓𑁂 𑀘 𑀳𑁄𑀲𑀺𑀢𑁂 𑀬𑀣𑀸 𑀧𑀯𑁆𑀢𑀸 𑀬𑀣𑀸 𑀘 𑀲𑀺𑀮𑀸 𑀣𑀫𑀸 ...(𑀢) 𑀯𑀸 (𑀯𑀺) 𑀬𑀢𑀺 𑁇

𑀥𑀫𑁆𑀫𑀮𑀺𑀧𑀺𑀓𑀸 𑀭 𑀫𑁄 𑀢𑀻 𑀮𑀸 𑀮 𑀆 𑀮𑀫𑀘𑀁𑀤𑁆𑀭𑁆

पियदसि     नामे 

राजा कुमार  (स)

संवस माणे 

म देसे (उ) पुनिथ

विहार (य) ताये।

भाग  1

1   सावण्ं   वियुथे (न ) 200506       देवानं आणायति अड्ढतिया 

2  नि  वसानि  यते  सुमि  उपसके  नो  चु  बा (ढं)  ( प)काते  हुसं ति  वा  सं (वच्छ)रं  सा

3 (धिकं  मे  संघ य या )  ये हाढ चु सुमि पकन्ता    इमं च कालं ज(म्बुदिप) सि 

भाग  2

4 देवा न मनुसेहि (मि) सिभूता हुसू 

5    ल  नो च  एस महाप का रणेणो (न)  खुदके पि  पकम..

6   अठाय एसा सावणे  किता (ति)  खुदका  च  उडारका  च पक ......

7  किती   एते  पि  पकमेयु  ति    अयं  हि   अठे   वढसिति  विपुला  ( पि  च )........(व) ढि..

8  सिति   चि (र)   थितिके   च   होसिते    यथा    पवता   यथा  च  सिला  थमा ...(त)   वा (वि)  यति ।

धम्मलिपिकार मोतीलाल आलमचंद्र

अनुवाद।

पियदस्सि नाम के राजकुमार युवा साथी के साथ 

युवा मज्झिम देश के तीर्थ विहार पर गये।

भाग 1

1 देवानं यात्रा के  256वे दिन घर से दूर दौरे पर थे तब यह घोषणा करते हैं।

 2 जब मैं ढाई साल से अनुयायी था कोई ध्यान देने योग्य वृद्धि नहीं हुई।

 3  लेकिन जब मैंने संघ  की एक वर्ष से अधिक स्वयं सेवा की है तो इस अवधि के दौरान जम्बुदीप मे अत्यधिक म वृद्धि हुई है

भाग  2

 4 देवों  ने  मनुष्यों  से घुलना-मिलना शुरू कर दिया।

 5 यह न केवल उच्च वर्ग में हुआ बल्कि निचले तबके में भी हुआ . 

 6 इस उद्देश्य के लिए यह घोषणा की गई है उच्च वर्ग और निम्न वर्ग ......

 7 इसे समाप्त किया जाना चाहिए, इस प्रकार धम्म की वृद्धि होगी और अत्यधिक  उपजेगा।

 8 यह लंबे समय तक चलेगा।  जैसे पहाड़ों पर भी  शिला स्तंभ  की भान्ति उत्कीर्ण किया है  जो खुले हुए हैं।

#मोतीलाल आलमचंद्र

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