भगवान का अर्थ
बुद्ध को पालि वांग्मय में "भगवान" कहा गया है, जैसे कि "नमो तस्स भगवतो अरहतो सम्मा सम्बुद्धस्स।" अर्थात्- हम उनको नमस्कार करते हैं, जो भगवान हैं, अर्हत हैं, सम्यक सम्बुद्ध हैं। त्रिरत्न वन्दना के अन्तर्गत कहते हैं- "इतिपि सो भगवा अरहं सम्मा सम्बुद्धो विज्जाचरण सम्पन्नो सुगतो लोकविदू अनुत्तरो पुरिसदम्म सारथी सत्था देवमुनस्सानं बुद्धो भगवा ति।" बुद्ध वन्दना में उनके नौ गुणों का व्याख्यान करने के दौरान "भगवा" अर्थात्- "भगवान" दो बार आया है। बौद्ध धर्म के पवित्र ग्रंथों में "भगवान" का अर्थ इस प्रकार बताया गया है- "भग्ग रागो भग्ग दोसो भग्ग मोहं, इतिपि भगवा" अर्थात्- जिन्होंने राग, द्वेश और मोह इन तीनों को भग्न कर दिया हो वह भगवान है अथवा इसी नाम-रूप की काया में राग, द्वेश और मोह का उच्छेद कर दिया हो, शमन कर दिया हो, ऐसे व्यक्तित्व को "भगवान" कहा जाता है। बौद्ध धम्म परंपरा में भगवान का अर्थ है ऐसा व्यक्तित्व, जिसने अपना संपूर्ण जीवन मानवता के लिए, नेक (कुशल) कार्यों के लिए, धम्म (धर्म) के लिये, विचारधारा के लि...